कानपुर। लगातार चीनी में प्रयोग कर उसे उत्तम बनाने वाले राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने एक बार फिर चीनी को अलग रूप देने का काम किया है। यहां पर फेलोशिप करने वाले एक कम्पनी के गुणवत्ता नियंत्रण के उप महाप्रबंधक द्वारा चीनी को प्रोटीन युक्त और बीमारी मुक्त बनाया है। बहुत जल्द पेटेंट के साथ वह बाजरों में इस सुपर शुगर को लाने की प्रक्रिया भी शुरू करने वाले हैं।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर द्वारा चीनी की गुणवत्ता को बेहतर करने में दिन प्रतिदिन कई कीर्तिमान स्थापित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में यहां 2020 में फेलोशिप करने आये त्रिवेणी शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड में उप महाप्रबंधक (गुणवत्ता नियंत्रण) राजेश सिंह ने एक ऐसी चीनी को बनाया जिसको खाने ने बहुत सारी बीमारी से बचा जा सकता है तो वहीं यह चीनी लोगों को भारी मात्रा में प्रोटीन भी देने वाली है। इस चीनी का नाम उन्होंने सुपर शुगर रखा है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेश नरेंद्र मोहन ने बुधवार को प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि लोगों के जहन में हमेशा से चीनी एक हानिकारक पदार्थ के रूप में माना जाता रहा है। लोगों की इस धारणा को तोड़ने के लिये एएसआई लगातार नए-नए प्रयोग भी करता रहता है। जिससे लोगों को बताया जा सके कि उनकी यह धारणा पूर्णतः सही नही है। इसी कड़ी में कोविड के दौरान हमारे संस्थान में फेलोशिप करने आये राजेश सिंह ने तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद सुपर शुगर को बनाया है। यह चीनी आम चीनी को तरह उपयोग में लाया जा सकता है और जिससे लोगों को चीनी खाने में नुकसान नही बल्कि फायदे होने वाले हैं।
कैसे बनी सुपर सुगर
सुपर शुगर को बनाने में काफी समय लगाया गया। काफी खोजबीन के बाद यह पता चला कि समुद्र में होने वाला एक प्रकार का शैवाल जो नासा के लोग खुद को प्रोटीन देने के लिए उपयोग करते हैं उसको चीनी में मिलाया जा सकता है। जिसके बाद इस शैवाल (स्पिरुलीना) को ऑनलाइन माध्यम से लगभग 800 रुपये प्रति किलो की कीमत से मंगाया गया। इस शैवाल को जब चीनी में मिलाया गया तो यह काम कर गया और उपयोगी बन गया। लेकिन प्रो नरेंद्र मोहन ने बताया कि इसमें उस दौरान एक गन्द आ रही थी जिसको हर व्यक्ति सहन नही कर सकता है। इसके बाद इसमें विचार किया गया कि किस प्रकार इस गन्द को मिटाया जाए जिसके बाद कुछ समय बाद तुलसी के साथ जब इसका प्रयोग किया गया तो इस शैवाल की महक चली गयी और एक सुपर शुगर को बनाया जा सका। इस शुगर में शैवाल और तुलसी की बात की जाए तो इसमें अगर 50 ग्राम को बनाया जाना है तो उसमें 44 ग्राम चीनी और एक ग्राम शैवाल और पांच ग्राम तुलसी का रस मिलाया जाएगा।
कितना फायदे मन्द यह शुगर
इस शुगर के अगर फायदे की बात की जाए तो इसमें साफ तौर में बताया गया है कि इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं। शैवाल में 60 से 70 प्रतिशत तक उच्च प्रोटीन और आवश्यक फैटी एसिड खनिज जैसे पोटैशियम, कैल्सियम , लोहा जस्ता, फास्फोरस और विटामिन बी1, बी2 ,बी3 की तरह अनेक विटामिन का के तत्व होते हैं। वहीं इसमें मिली तुलसी जिसके गुण हर कोई जानता है उसकी मात्रा भी अधिक पाई जाती है।
वंडर फूड फ़ॉर फ्यूचर बनेगा यह शुगर
प्रो नरेंद मोहन ने बताया कि यह आने वाले भविष्य में सबसे सस्ता और चमत्कारी फूड बनने वाला है। क्यों कि अगर इसकी कीमत की बात करें तो आज साधारण मिलने वाले चीनी के मूल्य से यह सुपर शुगर जिसमे कई गुण है वह महज पांच से 10 प्रतिशत ही महंगा होने वाला है। या कहा जाए साधारण मूल्य ही रहने वाला है।
शैवाल की गुणवत्ता और उपलब्धता
शैवाल समुद्रों में होने वाली वह काई होती है जिसको हम साधारण तौर पर फेंके देते हैं पर उसमें पाए जाने वाले गुणों को नही पहचान पाते हैं। शैवाल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। जिसके चलते जो इसकी जानकारी रखता है वह इसकी खेती भी कर रहा है। भारत के 15 प्रदेश शैवाल की खेती करते हैं जिसमे मुख्य रूप से कर्नाटक, पांडु चेरी , तमिलनाडु और आंध्रा हैं। वहीं अगर बात करें इसकी खपत की तो सबसे ज्यादा शैवाल को दक्षिण अमेरिका और चीन में खाया जाता है। वहीं भारत पूरे विश्व मे शैवाल का सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट करता है।
पेटेंट लेकर जल्द मार्केट में आएगा सुपर शुगर
त्रिवेणी शुगर एन्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उप महाप्रबंधक गुणवत्ता नियंत्रण राजेश सिंह ने बताया कि कम्पनी बहुत जल्द लगभग तीन महीने में इसका पेटेंट ले लेगी । वहीं जल्द ही इस शुगर को मार्केट में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम शुगर की सेल्फ लाइफ का भी निरीक्षण कर रहे हैं फिलहाल अभी तक कि रिसर्च में पता चला है कि लगभग एक साल से ज्यादा तक इस शुगर का उपयोग किया जा सकता है।