संपादकीय
राजीव ओझा, स्वतंत्र पत्रकार
पटना से मुंबई और मुंबई के बाद गाड़ी पटरी से उतर गई। तो क्या इंडी एलाइंस की गांठ लोकसभा चुनाव से पहले ही खुलने लगी है? ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि लोकसभा चुनाव से पहले तक तो गठबंधन का इंजन गाड़ी को घसीटेगा। लेकिन चार-पांच महीने पहले ही गठबंधन का दिल टूटा टुकड़े हुए हजार।
इसमें कोई चालू निकला कोई चिरकुट कोई छूटभैया तो कोई धोखेबाज। “इंडिया” गठबंधन की बारात जनवासे में इकट्ठा तो हुई लेकिन दूल्हे राजा नदारत थे। फूफा(नीतीश) थे, फूफी (ममता) थीं जीजू (केजरीवाल) थे और दूल्हा बनने की हसरत वाले कई राजकुमार थे। लेकिन कहा जा रहा है कि एक राजकुमार बहुत घमंडी है इसके कारण बारात की घोड़ी बिदक गई।
ऐसी संभावना थी की पांच राज्यों में रहे विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन तालमेल के साथ चुनाव लड़ेगी। लेकिन अब जब 5 विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, गठबंधन वेंटिलेटर पर चला गया है।
ऐसा इसलिए कहा जा सकता है की मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभा चुनाव में गठबंधन के प्रमुख घटक आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की मिट्टी पलीद हो गई हैं। इतना ही नहीं इन पार्टियों की बड़ी खुलकर वाक् युद्ध भी हो रहा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सभा पार्टी के अध्यक्ष को अखिलेश वखिलेश कह कर संबोधित कर रहे थे तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस को चालू और धोखेबाज पार्टी बता रहे थे। इन दोनों पार्टियों के बीच दल की इतनी बढ़ गई है कि तो कोई किसी को चिरकुट कह रहा है कोई छोटे भैया नेता।
उधर बंगाल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में तलवार खींची हुई है।
गठबंधन के संभावित संयोजक नीतीश कुमार की राजनीति तो अलग ही लेवल पर पहुंच चुकी है। पहले उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में व्यस्त है और गठबंधन पर जरा भी ध्यान नहीं दे रही। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मरहम लगाने की नाकाम कोशिश की यह कहकर कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन की पार्टियां अपने हिसाब से लड़े मुंह की खाई और अब कह रहे लोकसभा के समय देख लिया जाएगा।
लेकिन गठबंधन के अन्य दलों को लग रहा है कि कांग्रेस गठबंधन की अगवा बनने की कोशिश कर रही और उसमें बड़ी पार्टी होने का घमंड दिख रहा। इसीलिए पीएम नरेंद्र मोदी ने इस गठबंधन को शुरू से “इंडिया गठबंधन” की जगह घमंडियां गठबंधन करार दिया था। संसद में सर्विसेज बिल पास होने के बाद अरविंद केजरीवाल हताश हैं उन्होंने पंजाब में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर दी है और दिल्ली में भी वह अकेले ही लड़ेंगे विधानसभा चुनाव में राजस्थान छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में उन्होंने उम्मीदवार खड़े किए हैं भले ही पिछले चुनाव में उनके ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई थी। यही हाल समाजवादी पार्टी का मध्य प्रदेश में है वह कांग्रेस से 7 सीटें जा रहे थे जब बात नहीं बनी तो उन्होंने करीब 5 डेरेन सीटों पर अपनी उम्मीदवार खड़ी कर दिए यह अलग बात है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनको एक सीट मिली थी और ज्यादातर सीटों पर उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों में से तीन में राष्ट्रीय दलों के बीच ही संघर्ष है। मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दशकों से बीजेपी-कांग्रेस के बीच लड़ाई रही है। यहां कोई अन्य विकल्प अभी तक बन नहीं पाया है। इस बार भी अबतक कोई तीसरा विकल्प नहीं दिख रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) ऐसे फसल की तलाश में है जिसे लोकसभा चुनाव के वक्त काटा जा सके।
कि आप या कोई तीसरा दल गठबंधन को नुकसान पहुंचा रहा है। आम आदमी पार्टी की तैयारी बता रही है कि उसकी नजर भविष्य पर है।
हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों की कुल पांच सौ 20 विधानसभा सीटों में से करीब पौने दो सौ से अधिक सीटों पर ‘आप’ अपने प्रत्याशियों को लड़ाया, नतीजा सामने है।
गठबंधन में बढ़ रही दरार
5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को राजनीतिक विश्लेषक लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल मान रहे हैं. वहीं 2024 में एनडीए को सत्ता से हटाने का दावा कर रहे इंडिया गठबंधन में दरारें बढ़ती जा रही है. में उतरने की तैयार कर रही है. रालोद और कांग्रेस के बीच भी अभी सीटों को लेकर असमंजस बना हुआ है. इंडिया’ गठबंधन में शामिल दल अब एक-दूसरे के सामने ही ताल ठोंकने में जुट गए हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच शुरू हुई बगावत जल्द ही राजस्थान में भी दिख सकती है. ऐसे में विपक्षी गठबंधन में दरार बढ़ना तय है.