मुख्य संवाददाता
मथुरा, 17 जनवरी। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरा विश्व उत्साहित हैं। सभी को श्रीराम लला के भव्य मंदिर में विराजमान होने का गौरव प्राप्त होने वाला है। इस एतिहासिक घड़ी को मुकाम तक पहुंचाने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कोने-कोने से रामभक्तों ने सहयोग किया है। ऐसा ही सहयोग वृंदावन की गलियों में जीवन बिताकर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल की रखवाली कर कमाई अपनी पूरी पूंजी को एक वृद्धा ने दान कर किया है। यह रकम छोटी-मोटी नहीं बल्कि 51 लाख की धनराशि है।
दरअसल वृंदावन में रहने वाली यशोदा के पति की मौत जब वह 20 वर्ष की थी तब हो गई थी। पति की बेहद कम उम्र में मौत के बाद यशोदा के सामने जीवन में भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया। लेकिन उनकी हिम्मत नहीं टूटी और जगत के पालक श्री हरि के अवतार भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में रम गई। बाँके बिहारी लाल को अपना जीवन समर्पित कर वहां दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के जूते-चप्पलों की देखरेख करने लगी। इसके बदले श्रद्धालुओं द्वारा उसे कुछ पैसे देते। उन पैसों से वह गुजर बसर करती रही। 30 वर्षों से इस तरह से वह श्रीकृष्ण नगरी में श्रद्धालुओं की जूते-चप्पलों की सुरक्षा कर थोड़े-थोड़े पैसे जमा कर 51 लाख रूपये से अधिक की बड़ी धनराशि जमा की। भक्ति में रमी यशोदा ने अपनी जीवन भर की इस पूंजी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण में अर्पण कर दिया।
प्रभु की भक्ति में रमीं सबरी यशोदा ने अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर निर्माण में कुल 51,10,025 रुपये समर्पित कर दिए। यह उनका प्रभु राम के प्रति भक्ति भावना और मंदिर निर्माण को लेकर असीम प्रेम को दर्शाता है। उनका कहना है कि प्रभु राम सेवा में तो यह जीवन कम है। मेरा सौभाग्य है कि जीते-जी प्रभु श्रीराम मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा देखने को मिलने जा रहा है।