जनपद के किसी भी सरकारी अस्पताल में अगर आग लग जाए तो मरीजों की जान भगवान भरोसे होगी क्योंकि जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में फॉर सेफ्टी के उपकरण नहीं है। ऐसे में जब मीडिया की टीम ने अकबरपुर स्थित पुरुष और महिला जिला अस्पताल का रियलिटी चेक किया तो फायर से संबंधित उपकरण या तो ख़राब मिले या एक्सपायरी डेट के मिले। जिससे ये साफ होता है कि सरकार के दाव और वादों पर जिला प्रशासन पलीता लगातार नजर आ रहा है।
बीते दिनों लखनऊ स्थित पीजीआई अस्पताल के ओटी में आग लगने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई इसके बाद भी कानपुर देहात जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कोई सीख नहीं ली। कानपुर देहात में पुरुष और महिला जिला अस्पताल के अलावा एक दर्जन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और दो दर्जन से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन किसी भी सरकारी अस्पताल में फायर सेफ्टी उपकरण नहीं उपलब्ध है। आज मीडिया की टीम ने अकबरपुर स्थित पुरुष और महिला जिला अस्पताल का रियलिटी चेक किया। रियलिटी चेक के दौरान फायर सेफ्टी के उपकरण या तो ख़राब मिले या उनकी जगह पर जूते चप्पल झालर आदि मिली और तो और महिला और पुरुष जिला अस्पताल में एक्सपायरी डेट के सिलेंडर रखे हुए मिले। जिनको एक्सपायर हुए लगभग 12 महीने होने जा रहे हैं लेकिन अब तक ना तो उन्हें बदला गया और ना ही फायर सेफ्टी उपकरणों की व्यवस्था की गई जिससे यह साफ होता है की सरकारी अस्पतालों में आए मरीज की जान आग लगने की घटना के समय भगवान भरोसे होगी क्योंकि यहां सरकार से आए हुए बड़े बजट की खरीदारी तो होती है लेकिन व्यवस्थाएं सिफर होती है जरूर का सामान कभी सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलता। क्योकि उपकरणों की खरीददारी में भ्रस्टाचार बड़े पैमाने पर किया जाता है।
जिला अस्पताल में तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक खालिद रिजवान ने बताया कुछ समय पहले मॉक ड्रिल हुई थी ।उपकरण चलाने की विधि बताई गई थी अभी की स्थिति दिखवानी होगी कुल मिलाकर जवाब गोल-गोल था। मरीजो की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ पर कोई ठोस जवाब देही नजर नहीं आई।