पुलिस को दिया चकमा और अयोध्या के लिये हो गये थे यहाँ के कारसेवक रवाना

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कानपुर, 10 जनवरी। देश विदेश में आज सिर्फ प्रभु श्री राम की चर्चा हो रही है। आने वाली 22 जनवरी को श्री रामलला अयोध्या के नवनिर्मित मंदिर में विराजमान होंगे। दुनियां भर के सनातनियों में इस क्षण को लेकर उत्साह है। वहीं आज इस दिन का इंताजर कानपुर के उन हजारों लोगों और उनके परिजनों में भी है जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाई थी। कई दशक पहले हजारों कारसेवक अपने प्राणों की चिंता किये बिना घरों से अयोध्या के लिये निकल गये थे। उस वक्त की तमाम स्मृतियां एक बार फिर भक्तों के जहन में ताजा हो रही हैं और उन किस्सों को याद कर आज उनके आँखों से खुशियों के आंसू भी आ जाते हैं।

देश में 22 जनवरी 2024 इतिहास के पन्नो में अपनी वो अमिट छाप छोड़ने वाली है जिसको भविष्य में मिटा पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन होने वाला है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है और राम लला अयोध्या के नवनिर्मित मंदिर में विराजमान होंगे। इस दिन को केंद्र और प्रदेश सरकार ने ऐतिहासिक बनाने के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। तो वहीं राम लला के मंदिर निर्माण आंदोलन में भाग लेने वाले कानपुर के सौरभ ओमर भी कार सेवकों का जत्था लेकर राम जन्म भूमि की ओर रवाना हो गए थे। “हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी” से ख़ास बातचीत में उन्होंने इस आंदोलन की स्मृतियाँ साझा की हैं।
उन्होंने बताया कि बाबरी मंदिर विध्वंस के बाद से राम मंदिर निर्माण का आंदोलन जारी था। इस आंदोलन में देश के कोने-कोने से कार सेवकों का जत्था लगातार अयोध्या पहुंच कर मन्दिर बनाने की मांग करता रहता था। इसी कड़ी मेरे साथ 13 मार्च 2002 को मनोज पाण्डेय की अगुवाई में बर्रा 6 से भारी संख्या में कारसेवकों का एक जत्था अयोध्या के लिए रवाना हुआ था। कार सेवकों के इस जत्थे में प्रमुख रूप से मनोज पांडेय, वीरेश मिश्रा, राजू सचान, गणेशी मिश्रा सहित 50 कारसेवक जनपद से पुलिस को चकमा देकर इलाहबाद जाने वाली ट्रेन में चढ़ गए थे। हालांकि सभी को गोंडा में गिरफ्तार कर लिया गया था।

विश्वहिंदू परिषद के शिलादान कार्यक्रम के पूरे देश से कार सेवक अयोध्या पहुंचने के लिए सड़क पर उतर आए थे। तत्कालीन सरकार के इशारे पर प्रशासन ने कारसेवकों को अयोध्या पहुंचने पर रोक लगा दी थी। जगह-जगह कारसेवकों को हिरासत में लिया जा रहा था। अयोध्या जाने पर उस वक्त सख्त रोक थी। लेकिन राम भक्तों में एक अलग ही जज्बा था। इसी तरह पूर्व पार्षद गोपी किशन ओमर की अगुवाई में भी उसी दिन शिवाला क्षेत्र से दर्जनों कारसेवकों के साथ निकले थे, जिन्हें अरेस्ट कर लिया गया था।

उन्होंने बताया कि इस आंदोलन में तत्कालीन गोरखपुर सांसद वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हिंदू महासभा के भी 500 कारसेवकों के जत्थे के साथ गोरखपुर में गिरफ्तार किया गया था।
कारसेवकों के इस जत्थे ने आज चैन की सांस ली है। सौरभ ओमर बताते हैं कि जब वह इस आंदोलन में भाग ले रहे थे तो उनको अपनी भक्ति पर पूरा भरोसा था और विश्वास था की एक दिन प्रभु श्री राम मंदिर में विराजमान होंगे। आने वाली 22 जनवरी को यह सभी कार सेवक दिवाली पर्व की तरह इस दिन को मनायेंगे और उस दिन भी अपनी स्मृतियों को याद करेंगे।

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